Tuesday, July 31, 2012

हंगामा नही, परिवर्तन हमारा उद्देश्य है !


जंतरमंतर पर चल रहे जनलोकपाल आंदोलन के दुसरे चरण मे जो घटनाएं घट रही है उसे लेकर आंदोलन मे श्रद्धा रखनेवाले एवं आंदोलन के चाल, चरित्र और चेहरे के प्रती आस्था रखनेवाले  कार्यकर्ताओं मे दु:ख एवं निराशा की भावना है I  मिडिया एवं राजनैतिक लोगों के प्रति जो व्यवहार हो रहा है वह बहुत ही दुखद है I अत: इस आंदोलन के चाल, चरित्र और चेहरे को लेकर अब शायद स्वयम अन्नाजी को ही कुछ अहम फैसले करने होगे I “हंगामा खडा करना मेरा मकसद नही, सुरत बदलनी चाहिये” इस विचार से शायद हमारा आंदोलन दूर जाते दिखाई दे रहा है जो निश्चित ही गहरी चिंता का विषय है I अगर हम आंदोलन का अच्छा भविष्य चाहते है तो इस आंदोलन की चाल, चरित्र और चेहरा मैला न हो इसपर गौर करना अनिवार्य है I

कल मुंबई में कुत्तो का पोस्टर लगाकर जो घीनौना प्रदर्शन जिस किसीने किया हो, उसकी कडी निंदा होनी चाहिये I इसका ध्यान रहे की मिडीया मे भी कई ऐसे लोग है जिन्हे अण्णा और आंदोलन के प्रती आस्था है I कई चॅनेल्स ऐसे है जिन्होने रामलीला मैदान वाले आंदोलन का प्रसारण बिना कोई कमर्शीयल ब्रेक लिये चोबिसो घंटे दिखाया था I अगर हम मिडीया से यह उम्मीद रखते है की हम बार बार आंदोलन करे और मिडीया हर समय उतनाही कवरेज दे, तो शायद हमारी उम्मीद हद से बढकर है जिसे पुरा नही किया जा सकता I आखिर हम ऐसा क्यों सोचे की मिडीया हमारा बंधक है और हम जब चाहे उससे हमे सहयोग मिलना चाहिये ? मिडीया की इस प्रकार की आलोचना से हम क्या हासिल कर सकते है ?

राजनेताओंके भ्रष्टाचार के बारेमे हमारी सख्त धारणाए है और हम भ्रष्ट राजनेताओं के खिलाफ है; लेकिन इसका मतलब यह नही की हम हिंसक आंदोलन का मार्ग अपनायें I हिंसा हमे हमेशा वर्जित हो, चाहे आंदोलन का जो भी परिणाम निकल आये I यह आंदोलन अगर हिंसा अपनाता है तो यह ना केवल आंदोलन की हार होगी बल्की समुचे गांधी विचारधारा एवं अण्णाजी के अबतक किये कार्य की हार होगी I इसको ध्यान में रखते हुये सभी कार्यकर्ता अपने आपको हिंसासे दूर रखें I नफरत नहीं, परिवर्तन हमारा उद्देश्य हो I       

इस विषय मे महाराष्ट्र के कई कार्यकर्ता मुझसे संपर्क कर अपनी नाराजगी जता रहे है I मै उन सभी साथीयोंको आश्वस्त करता हुं की कार्यकर्तांओंका एक दल इस स्थिती के मद्देनजर अण्णाजी से उनकी रालेगण वापसी पर वार्तालाप करेगा I हम आदरणीय अण्णा का साथ देते आये है, दे रहे है और भविष्य मे भी देंगे, इस पर किसी के मन मे कोई आशंका न हो किंतु अब यह अनिवार्य हो गया है की आंदोलन के चाल, चरित्र और चेहरे के बारे मे गंभीरतापूर्वक सोच एवं चिंतन हो I

जय हिंद !

1 comment:

  1. आंदोलनाला संघटनात्मक पायाची आवश्यकता आहे. इथे सगळेच स्वयम्भू नेत्यांसारखे वागत आहेत.नेत्यांमध्ये इतर राजकीय भूमिकांबद्दल एकवाक्यता नाही . त्या मुळे प्रसिद्धी माध्यमांनी त्या वर प्रश्न विचारला की भंभेरी उडते.

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