Thursday, October 10, 2013

अजित गुलाबचंद द्वारा नरेंद्र मोदी की सराहना "खास" नही, "आम" बात है !

आज जब लवासा के मालिक एवं शरद पवार के करीबी अजित गुलाबचंद ने नरेंद्र मोदी की सराहना की तो कई लोगोंको आश्चर्य हुवा, दरअसल इसमें आश्चर्य की कोई बात नही है I 

गत वर्ष नरेंद्र मोदी अपने एक बिझिनेसमेन साथी को लेकर बिना किसीको खबर किये लवासा आये थे और लवासा कंपनीने उनका स्वागत किया था....जहां तक मेरी जानकारी है, भाजपा की महाराष्ट् इकाई (जो लवासा के खिलाफ लड रही थी) तक को इस बात का पता नही था की मोदी लवासा आ रहे है I यह वो वक्त था जब हमारे साथी छोटे किसान बद्याभाऊ, ठुमाबाई, लीलाबाई, ज्ञानेश्वर शेडगे जैसे कई आदिवासी एवं छोटे किसान लवासा के खिलाफ अपनी करो या मरो लडाई लड रहें थे, आज भी उसी हिंमतसे लड रहे है I

मोदी के लवासा मे आने की सूचना मुझे पत्रकार मित्रोसे मिली तो मैने तुरंत आरएसएस के प्रवक्ता राम माधवजीको एक एसेमेस भेजा जिसमे यह कहा था:

" स्व. नानाजी देशमुख जैसे नेता विनोबाजी के साथ भूदान मे जुटे हुये थे, 'भूदान' जो बडे किसानोकी जमीने छोटे किसानोको देनेका एक कल्याणकारी मॉडल था, लवासा इसके पूर्णत: विपरीत एक ऐसा मॉडल है जिसमे छोटे किसानोकी जमीन एक कॉर्पोरेट कंपनी छीन रही है, क्या यह आरएसएस और भाजपा की नई अर्थनीती है? क्या भाजपा नानाजी, दत्तोपंत ठेंगडीजी को पुरी तरहसे भूल चुकी है? क्या यही 'वनवासी कल्याण' है?"

इसपर मुझे कोई जवाब नही मिला I

नरेंद्र मोदी उस रात लवासा के मेहमान के नाते लवासा के एक होटल मे रुके थे I इस बीच मराठी न्यूज चैनल्स द्वारा इस मुद्दे को उठाये जानेपर नरेंद्र मोदी को अजित गुलाबचंद के साथ प्रस्तावित अपनी प्रेस कॉन्फरन्स को रद्द करना पडा !

इसके कुछ दिनों बाद और एक नये हिल स्टेशन का प्रस्ताव महाराष्ट्र शासन को प्राप्त हुवां जो शायद मोदिजी के मित्र का ही है !

विकास की आजकी परिभाषा है छोटो को कुचल कर बडों की संपत्ती मे वृद्धी करना I इसके लिये राजनेता और पुंजीपती इनमे आपस मे मित्रता होनी जरुरी है ! इसीलिये जब अजित गुलाबचंद ने आज नरेंद्र मोदी को "market friendly" कहा तो समझने वाले समझ गये ! दरअसल इसलिये की देश का संविधान आजभी समाजवाद की नीव को नकारता नहीं, हमारे राजनेता सीधे नही कह सकते की वो पून्जीपती का साथ देते है, ना ही पुंजीपती सीधे कह सकते है की राजनेता उनके मित्र है, अत: मार्केट फ्रेंडली जैसे शब्द अनिवार्य बनते है......

वरना कोई बताये की भाजपा और कॉंग्रेस की अर्थनीती मे क्या अंतर है? उत्तर बस वही है! कॉंग्रेस का राज किसी एक अंबानी का राज है तो भाजपा का राज किसी एक अदानी का राज होगा...! मतदाता तो आखिर एक दिन का मालिक है, हमारे असली मालिक शायद कोई और है....हम सत्ता परिवर्तन नही करते, बस स्वामी परिवर्तन करते है! बस....

1 comment:

  1. आमच्या कडे दुसरा पर्याय नाही. हा नाही तर तो यातील एक स्वामी निवडायचा आणि आशावादी रहायच.

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